खिरकिया। प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर परिसर में आयोजित मेला में इन दिनों खरीददारों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मेला पूरे सबाब पर है। मेला परिषर में सजी दुकानों पर जमकर खरीददारी कर रहे है। रवि के सीजन की फसल की कटाई और निकाले जाने का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद कुछ किसान समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए अपने नंबर के आने का इंतजार कर रहे वही अधिकांश किसान समर्थन मूल्य और मंडी में खरीदे जा रही दर में ज्यादा अन्तर नही होने के कारण मंडी में अपनी उपज बेचने में अधिक रुचि दिखा रहे है।इससे किसान और उनके परिवार के लोग भी मेले में पहुंच रहे है।वही खेतो से मजदूरी कर अब क्षेत्र में बड़ी संख्या भी रहने वाले आदिवासी मजदूरों ने भी अपने घरों की ओर लौटना शुरू कर दिया है।
देखा जाए तो मेला में आदिवासी ग्राहकों के आने पर मेले में लाखों रुपए लगाकर अपनी दुकान सजाकर बैठे दुकानदारों इाम चेहरे खिल उठते है, चूंकि इन्हे ही दुकानदार अपना वास्तविक खरीददार मानते है। दूसरी ओर देखे तो बोर्ड परीक्षाओं के साथ साथ करीब करीब लोकल परीक्षाएं भी सम्पन्न हो चुकी है और रंगो का त्योहार होली भी करीब है यही वजह है कि शहर से आने वाले लोग भी कम नहीं है।मेला में लगे टोरा टोरा, कोलंबस झूला, गणपति झूला,ब्रेक डांस सहित अन्य झूले आकर्षण का केंद्र बने हुए है। महिलाएं मेले में सजी आर्टिफिशियल ज्वेलरी,बैग पर्स, सौंदर्य प्रसाधन, वर्षभर रसोई और घरेलू उपयोग में लाई जाने वाली आवश्यक सामग्री की खरीदी से निवृत होने के बाद चटपटा चाट, भेल, डोसा, नूडल्स का लुफ्त उठाने के बाद जूस आइसक्रीम का आनंद उठा रही है।वही खेल खिलौने इलेक्ट्रॉनिक आयटम बच्चो को जमकर आकर्षित कर रहे है। किसान मजदूर कामकाजी लोग नौकरीपेशा लोग और निकट भविष्य में परिवार में आयोजित होने वाले मांगलिक कार्यों के लिए अपनी जमा पूंजी लिए ग्राहक मेले में लगी सोना चांदी की दूकानों पर भी खरीदी कर रहे है। प्रति वर्ष की तरह यह मेला अपने अंतिम दौर में रंग पकड़ता जा रहा है।
समय के साथ बदला मेला का स्वरूप
सैकड़ो वर्षाे से चले आ रहे हरदा ही नहीं प्रदेश स्तर पर प्रसिद्ध मेले का समय के साथ स्वरूप बदला है।पहले यह मेला पशु मेला उपयोनिजीहरिपुरा 8 मार्च से मेला प्रारंभ हुआ यह मेला कई वर्षों से लगता आ रहा है यह मेले को इस पास के आदीवासी अंचल में लोग जत्रा के नाम से जाना जाता है दूर-दूर से ग्रामीण अंचलों के लोग इस मेले को देखने के लिए लाखों की संख्या में मेला देखने आते हैं इस मेले में झूले सर्कस जादूगर खानपान की दुकान खेल खिलौने लोहे की पेटी अलमारी ऐसे कई आकर्षक अनगिनत दुकान लगती है या मेला कई वर्षों पहले इस मेले में विशाल मैदान में मवेशी बाजार भी लगता था जो आज उस बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है यहां शाम के समय फिल्म टॉकीजो में जो आवाज गूंजती थी ओम जय जगदीश हरे हरे की धुन जो चलती थी जो आज इस मेले में धुन ही सुनाई नहीं देती। आज के ऑनलाइन दौर में मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक की दुनिया होने के कारण इस मेले में काफी सुना सुना लगने लगा है भगवान गुप्तेश्वर महादेव के आशीर्वाद से यह मेला इस क्षेत्र की अपार शक्ति अपारजन समूह के सहयोग से यह मेला चल रहा है आज के दौर में ऐसे कई मेले हैं जो बंद हो चुके हैं आज भी ग्रामीण अंचल एवं आस पास क्षेत्र के लोग लाखों की संख्या में इस मेले आनंद उठाने एवं भगवान गुप्तेश्वर महादेव के आशीर्वाद लेने के लिए भीड़ उमर पड़ती है