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महिला पार्षद का कामकाज संभाल रहे पार्षद पति, मतदाताओ ने आज तक नही देखी महिला पार्षद की शक्ल, परिषद की बैठक कर्मचारीयो पर बनाते है दबाव,



खिरकिया। नगरीय निकाय चुनाव के बाद से महिला पार्षद का काम पार्षद पति या उनके रिश्तेदार करने को मजबूर है बात की जाये नगर परिषद खिरकिया तो जहाॅ मतदाताओ ने 9 वार्डो की महिला पार्षद को चुना है, सूत्रो की माने तो निर्वाचित पार्षदो के रिश्तेदार नगर परिषद के कर्मचारीयो पर दबाव बनाते नजर आते है। जबकि यह अधिकार निर्वाचित पार्षदो का है पर यह जबरन रोब झाडते नजर आते है, देखा जाये तो मतदाताओ ने जिस उम्म्मीदवार को अपना मत देकर नगर परिषद में पार्षद का सदस्य बनाकर परिषद में भेजा है की वह उनकी वार्ड की समस्याओ को ध्यान में रखकर नगर परिषद की अहम बैठको में प्रस्ताव रखकर उन्हे पारित कराने का काम करे और वार्डो में नगर परिषद से मिलने वाली मूलभूत सुविधाए वार्डवासीयो को मिल सके इसी लिये नगर परिषद में पार्षद वार्डवासी अपना मत देकर चुनते है।
बैठक में पार्षद पति देते है दखल
वार्डवासीयो का दुख यह भी है कि हमने जिसे चुना है वह परिषद में स्वयं अपने अधिकारो का प्रयोग न करके जो जनप्रतिनिधि चुने है उनके रिश्तेदार जैसे उनके पति नगर परिषद में मुख्य रूप से दखल देते नजर आते है। देखा जाये तो सारे कामकाज परिषद में उनके पति संभाल रहे है वही नगर परिषद में कर्मचारीयो तथा अधिकारीयो पर पार्षद पति दबाव बनाते हुये नजर आते है वही परिषद की बैठक में भी पार्षद पति ही बैठक अटैंड करते है।
शासन की गाइडलान का उल्लंघन
बैठक में पार्षद पति शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुये नजर आ रहे है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण कर रखा है। लेकिन नगरीय निकाय में आज भी चुनकर आई महिला पार्षदों के स्थान पर उनके पति, पुत्र, भाई, अन्य रिश्तेदार महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। निगम में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण किया गया है।
15 वार्डो में 9 महिला पार्षद चुनी
नगर खिरकिया में 15 वार्डो में से 09 पार्षद महिला चुनकर आई हैं। लेकिन आधे से ज्यादा पार्षदों का कामकाज उनके पति, पुत्र, भाई, देवर या अन्य रिश्तेदार संभाल रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार के पांच साल पुराने आदेश को निगम आयुक्त ने दोबारा जारी किया है। जिसमें कहा है कि नगरीय निकायों के कामकाज संचालन के दौरान बैठक समेत अन्य कार्यों में महिला पदाधिकारी के कोई भी सगे संबंधी रिश्तेदार भाग नहीं लेंगे और न ही कोई हस्तक्षेप या दखलंदाजी करेंगे। आयुक्त ने आदेश जारी कर स्पष्ट कहा था कि निर्देश का पालन नहीं होता है तो नगर पालिका निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। बात की जाये ग्राम पंचायतो की तो पंचायतों में भी महिला जनप्रतिनिधियों के पति या परिवार के अन्य सदस्य उनका कामकाज संभालते थे। महिलाएं केवल मुहर बनकर रह गई है।
चुनाव के बाद नहीं दिखीं पार्षद
नगर पालिका चुनाव से पहले पार्षद पद के लिए महिला उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं, रिश्तेदारों के साथ जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया था। लेकिन चुनाव के बाद अब तक कई मतदाताओं ने महिला पार्षदों की शक्ल नहीं देखी है। मतदाताओं का कहना है कि समस्याओं के निराकरण के लिए मोबाइल फोन लगाने पर महिला पार्षद के पति, पुत्र से ही बात होती है। वे समस्याएं सुनकर निराकरण करा देते हैं। महिला पार्षद के पति-पुत्र ही वार्ड विकास की रणनीति बनाते देखे जाते हैं।
इनका कहना
नगर परिषद की बैठको में निर्वाचित पार्षद ही हस्तक्षेंप करने का अधिकार रखते है। विगत दिनो हुई परिषद की बैठक में मैने सभी पार्षद पति अध्यक्ष पति को बैठक से बाहर कर दिया था।
ए.आर सांवरे सीएमओ खिरकिया।

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