खिरकिया। जैन श्वेताम्बर मांगलिक भवन में विराजित श्री प्रशम प्रभा जी मसा ने फरमाया कि हम अपराधी हैं या निर अपराधी। एक दृष्टि से देखा जाए तो हम सब अपराधी है। 6 काय जीवों के अपराधी है। अनादि काल से जीव अपराध करता आ रहा है। हम सोए हो या फिर हम कोई सामान्य क्रिया कर रहे हो तो भी 7 या 8 कर्मों का बंध होता रहता है। हमने अपनी आदत नहीं बदली अपना स्वभाव नहीं बदला तो इसी संसार में अनंत काल तक भटकना पड़ेगा। हमें कहां जाना है यह तो पता है, पर कैसे जाना है। किन क्रियो के द्वारा हम वहां जाएंगे। इन चीजों पर हम चिंतन ही नहीं करते है। पूज्य शम प्रभा जी मसा ने फरमाया कि हर समय हमारे शरीर से अनंत पुद्गल जुड़ रहे हैं और अनंत पुद्गल खीर रहे हैं। प्रति समय हमारे शरीर में परिवर्तन चालू है। शरीर के अंदर सूक्ष्म क्रियाएं निरंतर चलती रहती है। किसी स्थान पर यदि हम बैठे हो तो वहां हमारे अनंत पुद्गल खीर जाते हैं। इसीलिए बताया है कि किसी स्थान पर श्राविका सामायिक करने बैठे और अगर पहले वहां कोई पुरुष बैठा हो तो दो घड़ी उस आसन पर ना बैठे यह शरीर कर्म के आधार पर टिका है। शरीर हर समय जर्जर होता जा रहा है। यह प्रक्रिया निरंतर चालू है। यह शरीर अनित्य है। ताश के महल के समान है। कब हवा का झोंका आए और कब टूटे कह नहीं सकते। हमारा जीवन भी ऐसा ही है। संसार के कार्य करते हुए यह विचार रखना कि काल धर्म ने मेरी चोटी पकड़ी हुई है। धर्म कार्य करते हुए सोचा कि मैं अमर बन के आया हूं, ऐसा चिंतन कर आत्मा को जागृत करना चाहिए। तपस्याओ के क्रम में पुष्पा कोचर के आज 11 उपवास उपरांत पोरसी के प्रत्याख्यान संपन्न हुए। दीपा विनायक का आज तेले की तपस्या गतिमान है।