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नगर परिषद खिरकिया मे अंगद के पैर की तरह वर्षो से जमे कर्मचारी, नही होता विभाग परिवर्तन, ना ही स्थानांतरण 

खिरकिया।  जिले भर के शासकीय कार्यालयों से लेकर जिला मुख्यालय तक दर्जनों ऐसे कर्मचारी हैं, जो अपनी पदस्थी दिनांक से लेकर आज तक एक ही विभाग एक ही स्थान पर अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं। इनमें से कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त तक हो गए हैं। फिर चाहे पद भृत्य का हो अथवा लिपिक का खिरकिया नगर परिषद कर्मचारियों के लिए चरागाह बन चुका है। जो भी कर्मचारी यहां एक बार जम जाता है, वह यहां से जाने का नाम नहीं लेता है। ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों के आगे-पीछे उनकी जी हुजूरी करते कभी भी देखे जा सकते हैं। नगर परिषद खिरकिया में ऐसे कुछ कर्मचारी आज भी कार्यरत हैं, जो अपने अधिकारी तक पर भारी पड़ जाते हैं। किन्हीं कारणों से यदि कर्मचारी को स्थानांतरित कर भी दिया जाता है तो वह स्थानांतरण रुकवा कर नहले पर दहला जडऩे जैसा कार्य कर सभी को चौका देता है। ऐसे कर्मचारियों के कारण भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। ये कर्मचारी काम कम अपने अधिकारियों की दलाली करने में ज्यादा मशगूल रहते हैं। यह है शासकीय नियम शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों के एक स्थान पर तीन वर्ष पूर्ण होने पर उनका अन्यंत्र स्थान पर स्थानांतरण किया जाना आवश्यक है, लेकिन नगर परिषद मे ऐसे दर्जनों कर्मचारी हैं, जो अपनी पदस्थापना से लेकर एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके द्वारा शासकीय कार्य को दरकिनार कर अधिकारियों की चापलूसी अथवा दलाली का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसे कर्मचारियों को अधिकारियों द्वारा भी तबज्जो दी जाती है। कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्हें शासकीय कार्य से कोई लेना-देना नहीं है। वे विभिन्न राजनैतिक दलों तथा कर्मचारी संगठनों के बैनर तले नेतागीरी कर अपनी राजनैतिक पैठ बनाने की जुगत में लगे हुए हैं।

 ऐसे कर्मचारियों के भरोसे क्या शासकीय कार्यों का निपटारा समय पर होना संभव है?

भ्रष्टाचार को मिल रहा बढ़ावा शासकीय तबादला नीति को धता बताते हुए वर्षों से जमे शासकीय कर्मचारियों ने जन सामान्य में अपनी गहरी पैठ बना रखी है। शासकीय कार्यालयों से संबंधित कोई भी कार्य इनकी मर्जी के बिना कराना असंभव है। फिर चाहे वह कार्य वैध हो अथवा अवैध। इन कर्मचारियों के माध्यम से ही अधिकारियों की पौ बारह होती रहती है, जिससे ये कर्मचारी अपने अधिकारियों के भी चहेते बने रहते हैं, साथ ही अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने से कतराते रहते हैं। फिर मामला कितना ही संगीन ही क्यों न हो। संज्ञान में हैं ऐसे कर्मचारी ऐसा भी नहीं है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसे कर्मचारियों के बारे में जानकारी न हो। उनके क्रिया कलापों के बारे में समूची जानकारी होने के बावजूद जिले के वरिष्ठ अधिकारी तक इन कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के मामले में विवश नजर आ रहे हैं। ऐसे में भय भूख और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का प्रदेश सरकार का सपना कैसे पूरा होगा।

कुछ कर्मचारी नशे का सेवन कर पहुंचते हैं ऑफिस

हम बात कर रहे हैं खिरकिया नगर परिषद की जहा देखा जाय तो कुछ ऐसे कर्मचारी हे जो ड्यूटी के समय नशे का सेवन कर ऑफिस में आते हैं ऐसे कर्मचारी को अधिकारी का कोई भय नजर नहीं आता क्योंकि नगर परिषद का सारा काम काज ये संभालते हे उच्च अधिकारी से मिलकर एक ही विभाग मे बैठकर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं लेकिन इनका विभाग परिवर्तन ना होना समझ से परे है।

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