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मनुष्य भव देव दुर्लभ है -वरिष्ठ स्वाध्यायी अरुण लुंकडपुण्य वाणी से ही सफलता के द्वार खुलते हैं -स्वाध्यायी मयंक तातेड

खिरकिया। फाल्गुनी पर्व आराधना के अवसर पर बुरहानपुर से पधारे वरिष्ठ स्वाध्यायी अरुण लुंकड़ ने समता भवन में कहा कि- सम्यक ज्ञान,दर्शन,चारित्र और तप मोक्ष मार्ग हैं। इनकी सम्यक आराधना करके मानव जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि- आगम में चार दुर्लभ बताए गए हैं। पहला- मनुष्य भव का मिलना दूसरा- धर्म का श्रवण करना तीसरा -धर्म पर श्रद्धा करना और चैथा- संयम में पराक्रम ।मनुष्य भव प्राप्त करना देव दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि- एक कल्पना के अनुसार- एक अरब जीव एक साथ जन्म लेते हैं तो उनमें से 99 करोड़ तिर्यंच गति में चले जाते हैं। शेष एक करोड़ में से 99 लाख जीव नरक गति में चले जाते हैं। शेष एक लाख जीव में से 99000 देवगति में चले जाते हैं। शेष 1000 जीव में से 900 जीव असन्नी मनुष्य बनते हैं। शेष 100 जीव में से 99जीव अनार्य देश में जन्म लेते हैं। शेष एक जीव मनुष्य जन्म ,आर्य क्षेत्र और उत्तम कुल को प्राप्त करता है । हमें धर्म आराधना ,साधना करके मनुष्य भव को सार्थक करना है। इसके पूर्व इंदौर से पधारे स्वाध्यायी मयंक तातेड ने कहा कि- सभी प्राणियों को कर्म का भुगतान करना पड़ता है। शुभ कर्म का फल- शुभ और अशुभ कर्म का फल -अशुभ होता है। शुभ कर्म करने से पुण्यवाणी का बंध होता है। उन्होंने कहा कि- धर्म आराधना करके पुण्यवाणी को बढ़ाया जा सकता है। पुण्यवाणी से ही सफलता के द्वार खुलते हैं। छोटे-छोटे नियम धारण करके भी पुण्यवाणी को बढ़ाया जा सकता है। धर्म आराधना करने से कर्मों की निर्जरा भी होती है। अंत में इंदौर से पधारी मोटिवेशनल ट्रेनर मोना तातेड ने आचार्य भगवन द्वारा प्रदत आयाम की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि -हमें गुणग्राही बनना है ,हमें इंद्रीय विजयी बनना है। हमें दूसरों में दोष नहीं ,गुण देखना चाहिए उन्होंने आगे कहा कि -जीवन निर्वाह से जीवन निर्माण और जीवन निर्माण से जीवन निर्वाण होता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रावक -श्राविकाएं एवं श्रद्धाशील उपासक उपस्थित थे। यह जानकारी साधुमार्गी जैन संघ के पूर्व मंत्री आशीष समदडिया ने प्रदान की।

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