हरदा नगर पालिका में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की परतें अब पूरी तरह से उजागर हो चुकी हैं। जनता के पैसों का दुरुपयोग कर नगर पालिका ने अपनी जिम्मेदारी को दरकिनार कर दिया है। ट्रैक्टर, फिनाइल, स्वच्छता सामग्री, बिजली उपकरणों की खरीदी और घटिया सड़क निर्माण जैसे मामलों में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
मंड़पम्प बाजार मूल्य से दोगुनी कीमत पर ट्रैक्टर खरीदे गए, जिससे ₹27 लाख का भ्रष्टाचार हुआ। फिनाइल तीन गुना अधिक कीमत पर खरीदी गई, मानो नगर पालिका ने जनता के पैसे का कोई हिसाब ही नहीं रखा। स्वच्छता सामग्री और पाउडर की खरीद भी तीन गुना महंगी दरों पर हुई, जिससे हर साल लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। बिजली विभाग में नकली और घटिया उपकरण खरीदकर न केवल नागरिक सुविधाओं को नजरअंदाज किया गया, बल्कि जनता का पैसा भी बर्बाद हुआ। घटिया सामग्री से बनी सड़कों की स्थिति यह है कि वे महज 1-2 महीनों में टूट गईं। यह सभी मामले नगर पालिका में चल रहे भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करते हैं।
इन सभी मामलों में सीएमओ कमलेश पाटीदार की भूमिका संदिग्ध है। उनके पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू हो चुकी है। ऐसे में यह आवश्यक है कि सीएमओ को तत्काल पद से हटाया जाए, ताकि जांच में कोई हस्तक्षेप न हो। पहले भी कलेक्टर महोदय के निर्देशन में आरोपों की जांच ज़िला स्तरीय समिति कर चुकी है , उस में भी CMO दोषी ठहराए जा चुके हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे पारदर्शिता सुनिश्चित करें और जनता के प्रति जवाबदेह रहें। यदि अध्यक्ष जनता के विश्वास को बनाए रखना चाहती हैं, तो उन्हें सीएमओ को संरक्षण देने के बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। दूध का दूध और पानी का पानी करना अब समय की मांग है।
हरदा नगर पालिका में हो रही इस लूट के लिए जिम्मेदार लोग अब जनता के निशाने पर हैं। विपक्ष ने मांग की है कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार के सभी मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो। यदि ऐसा नहीं होता है, तो जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।