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पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे का बड़ा एक्सन, किया जनता के साथ न्याय, रोहित ठाकुर हत्याकांड में दोषी पाए गए छीपाबड़ थाने से 8 पुलिस अधिकारियों को हटाया


हरदा। छीपाबाड़ में रोहित ठाकुर हत्याकांड के मामले में हरदा पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे ने फिर जनता के साथ न्याय किया है।
उन्होंने मामले में दोषी पाए जाने पर 8 पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की । जिसमें छीपाबड़,टीआई सहित पुलिस अधिकारियों को थाने से हटाने के निर्देश जारी कर दिए है।
आनंद चौदस की रात में खिरकिया में वंदना होटल के पास 6 लोगों ने मिलकर रोहित ठाकुर पर चाकू से हमला कर दिया था जिसमें रोहित की मौत हो गई।

घटना की जानकारी मिलने पर एसपी ने छीपाबाड़ पुलिस को सख्त किया, तब तीन आरोपी पकड़ लिए गए।
बचे 3 आरोपियों को दो दिन पहले और गिरफ्तार कर लिया।
लेकिन छीपाबड़ पुलिस ने मृतक रोहित ठाकुर के साथियों पर भी प्रकरण दर्ज कर दिया जिसकी भनक तीन दिन तक नहीं लगने दी।
जब मामले की जानकारी खुलकर सामने आई तब रोहित के परिजन और राजपूत समाज के लोगों ने पुलिस की कार्रवाई के विरोध में एक दिन पहले शुक्रवार को छीपाबाड़ में 9 घंटे तक धरना प्रदर्शन आंदोलन किया।

उनका कहना था कि पुलिस ने आरोपियों की शिकायत पर मृतक के साथियों पर भी प्रकरण दर्ज कर दिया, जो गलत है।
प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि जिसने एफआईआर लिखी है उस पुलिस अधिकारी को हटाया जाए ।
पीड़ित परिजनों का आरोप था कि छीपाबड़ पुलिस आरोपियों से मिली हुई है।
जिसमें पुलिस की बेहद की किरकिरी हुई बताते हैं कि पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले की शुक्रवार और शनिवार को बारीकी से पड़ताल की है जिसमें टीआई सहित 8 पुलिस अधिकारी मामले में दोषी पाए गए।
पुलिस अधीक्षक ने शनिवार को सभी 8 पुलिस अधिकारियों को थाने से हटाकर लाइन कर दिया है।
जिले में पहली बार किसी पुलिस अधीक्षक ने इतनी बड़ी कार्रवाई पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध की है।
पीड़ित परिजनों ने सिर्फ एक अधिकारी को हटाने की मांग की थी, जिसने एफआईआर लिखी लेकिन मामले में दोषी पाए जाने पर एसपी ने 8 के विरुद्ध कार्रवाई कर दी है।
जिन अधिकारियों को हटाया है उसमें टीआई मनोज सिंह, देवकरण उईके रामेश्वर यादव,विनोद बरकने, श्रवण सिंह राजपूत, प्रधान आरक्षक कंचन राजपूत, आरक्षक देवेंद्र तोमर को लाइन अटैच किया है।
पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में जनता के साथ न्याय करना उचित समझा, ना कि अपने विभाग के अधिकारियों की पैरवी की ।

इतने पुलिस अधिकारी दोष के दायरे में कैसे आए ?
सूत्रों की बात पर विश्वास किया जाए तो आनंद चौदस को घटना होने के बाद जिन लोगों ने रोहित ठाकुर पर हमला किया था उन्हीं लोगों ने रोहित ठाकुर और उसके साथियों पर घटना के तुरंत बाद छीपाबड़ थाने में शिकायत लिखवा दी थी। इधर रोहित ठाकुर को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया,उधर पुलिस ने रोहित ठाकुर और उनके दोस्तों पर ही एफआईआर लिख ली। उसमें एट्रोसिटी एक्ट भी दर्ज कर लिया।
जानकारों ने बताया कि रोहित ठाकुर हत्याकांड के आरोपी आदर्श पासी, रवि पासी, ईश्वर पासी, पप्पू जलेला, सहित लोगों का अलग-अलग क्षेत्र और स्थान में जुए का काम चलता था, इस अवैध काम के बदले पुलिस से उनके मधुर संबंध थे। जो पुलिस अधिकारी लंबे समय से छीपाबड़ थाने में जमे हुए थे उनका लेनदेन इन से चलता था। इसी गहरी पहचान के कारण जिस दिन रोहित हत्याकांड हुआ उस दिन पुलिस ने मृतक रोहित और उनके साथियों व उनके परिजनों की नहीं सुनी, बल्कि जुए चलाने वाले की पहले सुनी।
लेकिन रोहित की इलाज के दौरान मौत हो गई, तब छीपाबड़ पुलिस हड़बड़ा गई।

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