Mon. Dec 23rd, 2024

मामला रहटगाँव थाने का हत्या कर साक्ष्य छुपाने के प्रकरण मे 11 साल बाद मृतक को ही ढूंढकर ले आई पुलिस

हरदा। हरदा जिले के थाना रहटगांव क्षेत्रान्तर्गत जुलाई 2013 मे फरियादी की रिपोर्ट पर से गुमशुदगी प्रकरण कायम कर गुमशुदा राजसिंह परिवर्तित नाम की तलाश पतारसी के काफी प्रयास किये गये किन्तु गुमशुदा के बारे में कोई जानकारी नही मिलने पर जनवरी 2017 मे गुमशुदा के पिता द्वारा विशेष सत्र न्यायालय हरदा में परिवाद दायर करते हुए गांव के 05 लोंगो के विरूध्द अपने गुमशुदा पुत्र की हत्या करके साक्ष्य को खुर्द बुर्द करने करने की नियत से शव को छुपा देने व जान से मारने की धमकी देने के संबंध में धारा 302,201,506 भादवि व 3 (2) (v) एससी/एसटी एक्ट का परिवाद माननीय विशेष न्यायालय मे प्रस्तुत किया गया था, जिसमे विचारण उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा माह अगस्त 2017 मे निर्णय जारी कर परिवाद मे आये तथ्यों अनुसार विधीवत प्रकरण कायम कर अनुसंधान करने हेतु निर्देश दिये गये थे, जिस पर आरोपीगण के विरूध्द थाना रहटगांव में धारा 302,201,506 भादवि व 3 (2) (v) एससी/एसटी एक्ट का प्रकरण कायम कर अपराध क्रमांक 163/17 विवेचना मे लिया गया एवं अनुसंधान के दौरान गुमशुदा/मृतक राजसिंह (परिवर्तित नाम) की तलाश पतारसी के हर संभव प्रयास किये गये किन्तु हत्या संबंधी कोई साक्ष्य नही मिलने के कारण माह अगस्त 2019 मे खात्मा कता किया गया था जो कि विचारण के दौरान फरियादी मृतक के पिता के पुलिस कार्यवाही से संतुष्ट न होने पर फरवरी 2023 में खात्मा अस्वीकृत कर विधिवत अग्रिम अनुसंधान व कार्यवाही हेतु निर्देश दिये गये थे जो मामले को पुनः खात्मा खोला जाकर अनुसंधान मे लिया गया था।
प्रकरण की विवेचना थाना प्रभारी व वरिष्ठ स्तर के अलग अलग अधिकारियों से कराई जा रही थी किन्तु मृतक/गुमशुदा के जीवित या मृत होने के बारे मे कोई जानकारी नही मिल रही थी, इसी दौरान जिला पुलिस अधीक्षक हरदा द्वारा माह सितम्बर 2023 मे प्रकरण की अग्रिम विवेचना हेतु एसडीओपी (टिमरनी), आकांक्षा तलया को आदेशित किया गया था, जो कि विवेचक आकांक्षा तलया द्वारा मामले में अनुसंधान के दौरान मृतक के परिजन, ग्रामवासियों व संदेहियों से पुनः पूछताछ की गई, जिससे मृतक पक्ष व आरोपी पक्ष के बीच पुरानी रंजिश जैसे कोई साक्ष्य नही मिले। चूंकि मामले में लगातार मृतक के शव को तलाशने की दिशा में प्रयास किये जा रहे थे किन्तु सफलता नहीं मिलने से पुनः जानकारी प्राप्त की गई व निरंतर पूछताछ एवं पतारसी करते जानकारी प्राप्त हुई कि मृतक गुमशुदा का रहन-सहन और बात करने का तरीका किन्नर जैसा था जो कि जिससे विवेचना को एक दिशा मिली एवं इसी दिशा में कार्य करना प्रारंभ किया गया ।
विवेचक एस.डी.ओ. (पी) टिमरनी द्वारा रुची लेते हुए कार्य किया गया एवं प्रकरण में अपने सहायतार्थ थाना प्रभारी रहटगांव उप निरीक्षक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया के नेतृत्व में टीम गठित कर जिला हरदा व आसपास के जिलों की किन्नर टोलियों से फोटो पंपलेट व हुलिये के आधार पर पूछताछ की गई एवं मुखबिर तंत्र को सक्रीय किया गया, जिससे मृतक/गुमशुदा राजसिंह (परिवर्तित नाम) के जीवित होने एवं दिल्ली व पंजाब के अलग अलग क्षेत्रों मे किन्नर के रूप मे रहकर जीवन यापन करने की जानकारी संज्ञान मे आई। जो मुखबिरी एवं तकनिकी प्रयोग से घटना के 11 वर्षों बाद पुलिस टीम ने दिल्ली से मामले के गुमशुदा राजसिंह (परिवर्तित नाम) को सुरक्षित व जीवित दस्तयाब करने मे सफलता प्राप्त की है।
पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे के निर्देशन में 11 वर्षों से लापता राजसिंह (परिवर्तित नाम), जिसके विषय मे हत्या व साक्ष्य छुपाने संबंधी मामला कायम है, की दस्तयाबी कर हरदा जिले की पुलिस ने बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। उक्त प्रकरण में विवेचक एसडीओ (पी) टिमरनी आकांक्षा तलया के साथ साथ उप निरीक्षक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया की विशेष भूमिका एवं सउनि. बीएमएस सोलंकी, प्र.आर. राकेश तुमराम, प्र.आर. रोहित रघुवंशी, प्र.आर. बुदेश जोठे, आरक्षक राकेश पटेल, आरक्षक अर्जुन लौवंशी, आर. लोकेश सातपुते, आर. रामजीलाल नरें की सराहनीय भूमिका रही है।

Author

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *